(Sunita Ekka Became Refri And Judge First Women In Jharkhand) दोस्तों हम सभी जानते हैं कि भारत में गरीब पिछले कई सौ सालों से जाति प्रथा जैसी चीजें चलती आ रही हैं, जिसमें नीची जाति, पिछड़ापन और आदिवासी जैसी चीजें शामिल है। कई सालों से इन लोगों का शोषण और इनसे बहुत ही बुरी तरह से व्यवहार किया जाता रहा है, पर वह कहते हैं ना “किसी का भी अधिकार कोई छीन नहीं सकता” अब वर्तमान में यह बात सभी जगह लागू होने लगी है। क्योंकि अब हर क्षेत्र और जाति के लोग विकास कर रहे हैं और उन्हें उनका अधिकार मिल रहा है।
आदिवासी ने किया गौरवांवित:
आज हम आपके लिए एक ऐसे शख्स की कहानी लेकर आए हैं, जिसने अपनी स्थिति और जाति का ख्याल ना करते हुए पूरे देश भर में अपना सिक्का जमाया है। और साथ ही साथ यह सिद्ध किया है कि किसी छोटी जाति या फिर मुसीबतों से घिरे होने के बाद भी इंसान का अगर मन मजबूत हो तो वह किसी भी काम को एक न एक दिन कर ही लेता है। दोस्तों आज हम बात कर रहे हैं झारखंड के जमशेदपुर में रहने वाली बॉक्सर सुनीता एक्का की:
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कैसे किया नाम रौशन:
दोस्तों आज हम जिंदगी बात कर रहे हैं सुनीता एक्का, विवेक आदिवासी झारखंडी महिला हैं। जिन्होंने एक बार फिर से पूरे देश भर में झारखंड और जमशेदपुर का नाम रोशन कर दिया है। दरअसल मुख्य खबर यह है कि आदिवासी सुनीता एक्का ने झारखंड की सबसे पहले पहली बॉक्सिंग नेशनल रेफरी-जज बनने का सम्मान हासिल किया है। झारखंड में ऐसा कारनामा कर दिखाने वाली ऐसी कोई भी महिला नहीं थी, और तो और सुनीता एक्का एक आदिवासी भी है जिससे इनके लिए हमारा सर गौरव से और ऊंचा हो जाता है।
Sunita Ekka (सुनीता एक्का):
बता दे सुनीता एक्का जमशेदपुर के मानगो 6 नंबर नामक स्थान की रहने वाली हैं, और अब वे एक बॉक्सिंग की राष्ट्रीय जज और रेफरी बन चुकी हैं। दरअसल पूरे भारत में बॉक्सिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया द्वारा एक BFI 1 स्टार रेफरी एंड जज की परीक्षा कराई गई थी, जो लगभग 28 फरवरी से 2 मार्च तक हुई। और बता दें कि पूरे भारत से करीब 96 कैंडिडेट इस परीक्षा में उत्तीर्ण हुए, और अगर झारखंड की बात करें तो यहां से भी 2 लोगों ने हिस्सा लिया था कार्तिक महतो और सुनीता एक्का ने।
और इसमें से सुनीता एक्का ने बाजी मार कर राष्ट्रीय रेफरी व जज की भूमिका हासिल कर ली है। अब वे किसी भी राष्ट्रीय चैंपियनशिप में जज या रेफरी की भूमिका निभा सकती है। वहीं पिछले 18 वर्ष पहले सुजीत सिंह मात्र एक राष्ट्रीय रेफरी व जज थे, उनके बाद अब सुनीता एकमात्र महिला हैं जिन्होंने यह कारनामा कर दिखाया है। इससे पहले सुनीता साल 2001 से 2013 तक बॉक्सिंग के खेल में अच्छा प्रदर्शन कर रही थीं, जिसके बीच उन्होंने एक सीनियर नेशनल पदक भी जीता था।
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