(Jharkhand Chumburu Tamsoy Success Story) दोस्तों आज के समय में हर कोई पैसा कमाना चाहता है ऐसे बहुत ही कम लोग बचे हैं, जो मानव हित के प्रति जागरूक हों। पर ऐसे भी कुछ उदाहरण उपलब्ध है जिन्होंने अपना सारा जीवन इसी कार्य में निकाल दिया। इतिहास में ऐसे कई लोग हुए हैं, पर वर्तमान में जो स्थिति चल रही है उसमें किसी ऐसे शख्स का मिलना बहुत ही कठिन काम है। और आज हम आपको तरह के एक शख्स के बारे में बताने वाले हैं जिसने अपने जीवन के लगभग 40 साल अपने गांव के हित में गुजार दिए।
झारखंड के मांझी:
दोस्तों आपने दशरथ मांझी की कहानी तो जरूर सुनी होगी या फिर उन पर बनी फिल्म भी देखी होगी। और नहीं जानते तो बता दें उन्होंने अकेले दम पर एक पहाड़ को बीच में से काट कर गांव वालों के परिवहन के लिए रास्ता बना दिया था। इस तरह का जुनून बहुत ही कम लोगों में पाया जाता है, और आज हम आपको झारखंड के एक ऐसे शख्स के बारे में बताने वाले हैं। जिनकी लगन और मेहनत के बारे में जानकारी आप बहुत ही ज्यादा हैरान होंगे।
दोस्तों हम बात कर रहे हैं झारखंड के कुमरिता गांव में रहने वाले चुम्बरू तामसोय की, दरअसल इन्होंने अपने गांव में करीब 100×100 फिट और 20 फिट के गहराई का एक बहुत ही बेहतरीन तालाब खोद दिखाया है। बता दें कि वर्तमान में इनकी आयु करीब 72 साल है, इस बीच इन्हें कई तरह की मुसीबतों का सामना करना पड़ा जिसमें बीमारी ज्यादा उम्र के चलते कमजोरी और भी कई चीजें शामिल थी। पर इन सभी के बावजूद इनका हौसला कभी कम नहीं हुआ, और असंभव सा दिखने वाला काम इन्होंने अपने मेहनत के दम पर संभव कर दिखाया।
यह सफलता की कहानी भी पढ़ें:
Success Story: जमशेदपुर की बॉक्सर सुनीता एक्का बनी झारखंड की पहली नेशनल रेफरी-जज!
45 साल से लगे हुए थे:
आप यह जानकर हैरान होंगे कि कैसे कोई व्यक्ति 45 साल तक बिना किसी सहायता और मदद की उम्मीद के लगातार काम कैसे कर सकता है। उन्होंने पहले शहरी क्षेत्रों ठेकेदारों के यहां मजदूरी जैसा काम भी किया हुआ था, और सभी उनके मन में यह सवाल उठा कि अगर उन्हें यही काम करना है तो वह इसे अपने ही गांव में क्यों न करें। और फिर वह वहां से अपने गांव वापस लौट आएं, और घर पर आकर उन्होंने बागवानी करने का निर्णय लिया पर उनकी सबसे बड़ी समस्या थी पानी की कमी।
नहीं मिला सहयोग:
और जब पानी की मांग के लिए वे एक तालाब के मालिक के पास है तो उसने उन्हें बेइज्जत करते हुए साफ मना कर दिया। और यही एक बात उनके दिल पर लग गई, और तबसे उन्होंने निर्णय किया कि वह अपना खुद का तालाब बनाएंगे। और फिर उस दिन से इस काम में लग गए, रोजाना अपनी खेती-बाड़ी के काम के बाद वे 4 से 5 घंटे तालाब के लिए मिट्टी खोदने में लगाते थे। और तो और उन्होंने ना दिन देखा था रात बस काम करते गए, और इसे देखकर लोग उन्हें पागल तक कहने लगे थे।
पत्नी ने भी छोड़ा साथ:
लगातार समाज की प्रताड़ना सहते-सहते की पत्नी ने भी इनका साथ छोड़ दिया। पर वही इससे पहले उनकी पत्नी ने चुम्बरू तामसोय को बहुत समझाया कि वह ऐसा ना करें, रवि काम आने वाले थे उनके सिर पर एक अलग ही जुनून चढ़ा हुआ था। फिर उनकी पत्नी ने आखिर में उनका साथ छोड़ना ही सही समझा, और फिर उनकी पत्नी ने दूसरी शादी भी कर ली।
मत्स्य विभाग ने किया सम्मानित:
जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया कि किस प्रकार की कड़ी मेहनत के चलते चुम्बरू तामसोय ने अकेले दम पर तालाब खोद कर दिखाया। पर सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि इस दौरान उन्हें सरकार या फिर किसी के भी तरफ से कोई भी मदद नहीं मिली। बस एक बार साल 2017 में उन्हें मत्स्य विभाग द्वारा सम्मानित किया गया, हमको इससे कोई फर्क नहीं पड़ता उनका कहना है “जब तक उनके हाथों में दम है उनका यह अभियान नहीं रुकने वाला”
यह सफलता की कहानी भी पढ़ें:
जाने कुमार सौरभ की एक साधारण दुकानदार से IAS बनने तक का संघर्ष भरा सफर!