बोकारो स्टील प्लांट (BSL) ने एक ऐतिहासिक पहल के तहत ग्रीनको रेटिंग सिस्टम को अपनाकर भारत के सतत विकास की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। यह पहल न केवल स्टील प्लांट के बदलाव की कहानी है, बल्कि पूरे देश को नेट-जीरो लक्ष्य की ओर ले जाने में मददगार साबित हो रही है।

नेट-जीरो लक्ष्य और BSL की भूमिका
बीएसएल के महाप्रबंधक (पर्यावरण एवं सतत विकास) नवीन प्रकाश श्रीवास्तव ने बताया कि यह पहल 2070 तक भारत के नेट-शून्य कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगी। 2021 के COP26 सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस लक्ष्य की घोषणा की थी।
इस्पात मंत्रालय ने ग्रीन स्टील के लिए एक नई स्टार रेटिंग प्रणाली लागू की है, जो CO₂ उत्सर्जन को कम करने पर केंद्रित है। बीएसएल ने 2026-27 तक अपने प्रति टन क्रूड स्टील उत्पादन में कार्बन उत्सर्जन को 2.2 tCO₂ तक लाने का लक्ष्य तय किया है।
ग्रीनको रेटिंग सिस्टम क्या है?
ग्रीनको रेटिंग सिस्टम पर्यावरणीय प्रदर्शन को सुधारने वाला एक व्यापक फ्रेमवर्क है। यह कंपनियों को 10 प्रमुख क्षेत्रों में परफॉर्मेंस का आकलन करने में मदद करता है, जैसे:
- ऊर्जा दक्षता
- नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग
- जल संरक्षण
- ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन की कमी
- अपशिष्ट प्रबंधन
- हरित बुनियादी ढांचा
अब तक 1,000 से अधिक औद्योगिक इकाइयां इस सिस्टम को अपना चुकी हैं। इनमें से 350 कंपनियों ने हर साल ₹3,500 करोड़ की बचत दर्ज की है।
बीएसएल का प्रभाव और महत्व
बीएसएल की यह पहल न केवल सेल की अन्य इकाइयों के लिए प्रेरणा है, बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी सराहना हो रही है। यह ग्रीन स्टील उत्पादन और पर्यावरणीय स्थिरता में एक मिसाल पेश कर रहा है।
भविष्य की दिशा
बीएसएल का यह कदम हरित इस्पात उत्पादन को बढ़ावा देगा और पर्यावरणीय सुधारों को तेज करेगा। यह न केवल कंपनी की प्रतिष्ठा को बढ़ाएगा, बल्कि भारत को वैश्विक हरित इस्पात मानचित्र पर मजबूती से स्थापित करेगा।
निष्कर्ष
बोकारो स्टील प्लांट द्वारा ग्रीनको रेटिंग सिस्टम को अपनाना सतत विकास की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। यह पहल देश को हरित और बेहतर भविष्य की ओर ले जाने में सहायक सिद्ध होगी।