Sugar Test Become Compalsary For Pregnent Women In Jharkhand गर्भावस्था एक ऐसी अवस्था होती है जिसमें महिलाओं को बहुत सारी परेशानियां उठानी पड़ती है, जिनमें शारीरिक के साथ ही साथ मानसिक परेशानियां भी शामिल होती हैं। और एक बच्चे की पोषण के लिए इन सारी चीजों को ठीक करना बहुत ही जरूरी होता है चाहे वह कोई भी परेशानी हो। ऐसे में ज्यादातर लोग अशिक्षा के कारण इन सब चीजों से अनजान होते हैं। और यही कारण है कि कई बार शिशु या फिर माता को किसी बड़ी बीमारी या फिर मृत्यु का सामना करना पड़ता है।
जननी शिशु सुरक्षा: ऊपर बताए गए निम्न परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए झारखंड सरकार जननी शिशु सुरक्षा योजना चलाई जा रही है इसके अंतर्गत कई तरह की सेवाएं विद्वान है। जिसमें गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को जिन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है उससे जुड़ी सारी जानकारियां और समाधान दिए जा रहे हैं। यह सुविधा सभी सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध कराई जा रही है, और अब इसमें गर्भवती महिलाओं की सुरक्षा के लिए एक और अनिवार्य योजना जोड़ दी गई है:
शुगर जांच (मधुमेह): गर्भावस्था के दौरान होने वाला एक रोग होता है मधुमेह, और यह इतना खतरनाक होता है कि इसमें बच्चे की मां और बच्चे दोनों को बहुत ही खतरा होता है। और इसकी वजह से कई सारी महिलाओं को बहुत परेशानी उठानी पड़ती है, और इसके समाधान के लिए अब राज्य सरकार ने गर्भवती महिलाओं के लिए शुगर की जांच अनिवार्य कर दी है।
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सभी सरकारी अस्पताल में उपलब्ध: अब इस नई योजना को अनिवार्य रूप से सभी सरकारी अस्पतालों में और एंटीनेटल चेकअप में भी लागू किया जाएगा। और धनबाद में सरकार द्वारा सभी अस्पतालों और इन सेंटरों पर ग्लूकोज के लिक्विड मुहैया कराए जाएंगे। और सरकारी सिविल सेवक डॉक्टर आलोक विश्वकर्मा द्वारा भी यह बताया गया है कि आने वाले सप्ताह से लगातार सभी संभव जगहों पर यह सुविधा उपलब्ध कर दी जाएगी, और शुगर का जांच किया जाएगा।
पिलाया जायेगा ग्लूकोस लिक्विड: बता दें इस चेकअप के लिए ग्लूकोज लिक्विड का उपयोग किया जाएगा जिसकी अलग-अलग मात्रा गर्भवती महिलाओं के हिसाब से तय की गई है, जिसमें 50 ग्राम, 100 ग्राम और 200 ग्राम के जार शामिल रहेंगे। पहले डॉक्टर गर्भवती महिला को एक औरत मात्रा में ग्लूकोज लिक्विड पिलाकर मधुमेह की जांच करेंगे।
और इनमें हर तरह के टाइप की डायबिटीज चेक की जाएगी और उनका इलाज किया जाएगा, जल्दी ही यह सुविधा सभी आंगनबाड़ी में भी शुरू होने वाली है, जिसमें गर्भवती महिला के 9 महीनों के दौरान करीब 4 बार यह टेस्ट कराना होगा। जिसकी मदद से सरकार अब माता और बच्चे दोनों को सुरक्षित रखने में समर्थ होगी और इनके मृत्यु दर में भी बहुत कमी आएगी।
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