झारखंड के अत्यधिक क्षेत्रों में कृषि का विस्तार बहुत ही ज्यादा है, पर आप यह भी जान लीजिए कि यहां की मिट्टी से अनाज के साथ ही साथ कई बड़े-बड़े सलमा और प्रतिभावान लोग भी निकलते हैं। और आज हम आपको उन्हीं में से एक की सफलता भरी कहानी सुनाने वाले हैं। जिसे सुनकर आप बिल्कुल हैरान हो जाएंगे कि क्या सच में कोई व्यक्ति इतना संघर्ष कर सकता हैं, कुछ नहीं अब आपको बताते हैं यह सफलता की कहानी:
Jharkhand Success Story: झारखंड के कई प्रतिभावान लोगों ने अपने कार्य और कुशलता के दम पर पूरे विश्व भर में अपना और झारखण्ड का नाम ऊंचा किया है। और आज हम उन्हीं में से एक प्रतिभावान व्यक्ति सुरेंद्र दास की बात करने वाले हैं। आपको बता दें कि सुरेंद्र दास बोकारो जिला के गोमिया प्रखंड नामक गांव के रहने वाले हैं। उन्होंने मात्र 10 वर्ष की आयु में झारखंड को छोड़कर मुंबई जाने का फैसला कर लिया था।
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क्यों गए मुंबई और कब: जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया की सुरेंद्र दास ने मात्र 10 वर्ष की आयु में साल 1994 में मुंबई में रहने वाले मौसेरे भाई से प्रभावित होकर उन्होंने मुंबई जाने का फैसला किया। जैसा कि हम सभी जानते हैं मुंबई में पहुंचते ही लोगों को संघर्ष करना पड़ता है, ठीक उसी प्रकार है सुरेंद्र दास को भी कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। और देखते ही देखते संघर्ष के बीच साल 1999 में इनके पिता का देहावसान हो गया, जिससे इनकी मुश्किलें और भी बढ़ गई।
क्या किया मुंबई में: मुंबई में आने से लगातार यहां के संघर्ष के बारे में सुरेंद्र दास को पता चल चुका था। और इन्होंने यहां अत्यधिक संघर्ष किए जिसके लिए इन्होंने छोटी उम्र से ही चाय की दुकान पर काम किया, फिर जब ये 20 वर्ष के हो गए तो इन्होंने गाड़ी चलाना सीख कर ड्राइवर का काम भी शुरू किया। और इस काम को करते करते हुए वे आमिर खान और प्रेम चोपड़ा जैसे कलाकारो के ड्राइवर तक भी बने।
शुरू किया अपना कारोबार: उन्होंने यह गौर किया कि नौकरी से कोई फायदा नहीं है इसलिए उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ कर खाने पीने की चीजों का एक ठेला लगा लिया। और फिर धीरे-धीरे इसका विस्तार करते गए, और फिर आगे चलकर इन्होंने राजनीति के क्षेत्र में भी कदम रखा, और यह वर्तमान में उत्तर मुंबई में बीजेपी की पार्टी से जिला अध्यक्ष भी हैं। आज जिसकी मदद से स्वयं 150 से अधिक लोगों को रोजगार दे चुके हैं।
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